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तत्वों को अलग करने के सामान्य सिद्धांत एवं प्रक्रियाएं।general principle and process for the isolation of elements

तत्वों को अलग करने के सामान्य सिद्धांत एवं प्रक्रियाएं (general principle and process for the isolation of elements) ----

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Elements

  • प्रकृति में तत्व निम्नलिखित दो अवस्थाओं में पाया जाता है।
  1. मुक्त अवस्था में - वह तत्व जिसकी क्रियाशीलता बहुत ही कम होती हैं तथा जिस पर वायुमंडलीय ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प आदि का प्रभाव नहीं पड़ता है वे तत्व प्रकृति में मुक्त अवस्था में पाए जाते हैं। जैसे - सोना, चांदी, प्लैटिनम तथा नाइट्रोजन और अक्रिय गैस भी प्रकृति में मुक्त अवस्था में पाया जाता है।
  2. संयुक्त अवस्था में - वह तत्व जिसकी क्रियाशीलता अधिक होती हैं तथा जिसपर वायुमंडलीय ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प आदि का प्रभाव आसानी से पड़ता है वे तत्व प्रकृति में संयुक्त अवस्था में पाए जाते हैं। जैसे -Fe, Na, Al, Zn, Ca आदि।
  • कार्बन और सल्फर अधातु मुक्त एवं संयुक्त दोनों अवस्था में पाए जाते हैं।

खनिज (Minerals) 

  • प्रकृति में उपलब्ध वह अकार्बनिक पदार्थ जिसकी विशिष्ट रासायनिक रचना तथा क्रिस्टलीय संरचना होती हैं, खनिज कहलाता है।
  • खनिज का अर्थ है खदानों से प्राप्त पदार्थ, लेकिन कोयला, पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस खनिज नहीं होता है क्योंकि इसकी निश्चित रासायनिक रचना और क्रिस्टलीय संरचना नहीं होती हैं।

अयस्क (Ores)

  • जिस खनिज में धातु की पर्याप्त मात्रा उपस्थित रहता है तथा जिससे कम खर्च में और आसानी से धातु प्राप्त किया जा सकता है, उस खनिज को अयस्क अयस्क कहते हैं। जैसे- बॉक्साइट(Al2O3.2H2O), सीने बार(HgS), जिंक ब्लड(ZnS), कॉपर-पायराइट(CuFeS2) आदि।
  • सभी अयस्क खनिज होते हैं। लेकिन सभी खनिज अयस्क नहीं होता है।

गैंग या आधात्री (Matrix)

  • अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों को गैंग कहते हैं।

धातुकर्म (Metallurgy)

  • अयस्क से धातु प्राप्त करने की प्रक्रिया को धातुकर्म कहते हैं।

धातुकर्मीय उपचार (Metallurgical operations)

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Metallurgical Operations

  • अयस्क से धातु प्राप्त करने के लिए कुछ सामान्य प्रक्रिया अपनाई जाती है जिसे धातुकर्मीय उपचार करते हैं।
  • धातुकर्मीय उपचार में निम्नलिखित प्रक्रियाएं की जाती हैं - 

  1. अयस्क का संदलन (Crushing of the Ores) 
खदानों से प्राप्त अयस्क के बड़े-बड़े टुकड़ों को क्रशर मशीन के द्वारा छोटे-छोटे टुकड़ों में परिवर्तित किया जाता है।

    2. अयस्क का महीन चूर्ण (Pulverization of the Ore)

अयस्क के छोटे-छोटे टुकड़ों को पिसनहारी मशीन में डालकर महीन चूर्ण बना लिया जाता है।

    3. अयस्क का सांद्रण (concentration of the ore)


  • अयस्क में उपस्थित अशुद्धियों या गैंग को दूर करने की प्रक्रिया को अयस्क का सांद्रण करते हैं। इसके लिए निम्नलिखित विधियां अपनाई जाती हैं।
  • इसके लिए निम्नलिखित विधियां अपनाई जाती हैं।

हाथ से चुनकर 

अयस्क के महीन चूर्ण में उपस्थित बड़े आकार के टुकड़ों को हाथ से चुनकर अलग कर लिया जाता है।

गुरुत्व पृथक्करण  (Gravity separation)

अयस्क के महीन चूर्ण को पानी से भरे टैंक में डालने पर उसके भारी कण गुरुत्वाकर्षण बल के कारण उस बर्तन के पेंदी में बैठ जाता है और हल्की अशुद्धियां ऊपर आ जाती हैं ।इस विधि के द्वारा उन अयस्क का सांद्रण किया जाता है जिसके कण अशुद्धियों से भारी होता है। जैसे हेमाटाइट, मैग्नेटाइट, आदि।

फेन उत्प्लावन विधि (Froth-floatation process)

जल से भरे हुए टैंक में सल्फाइड अयस्क के महीन चूर्ण को डालकर उसमें पाइन का तेल तथा जैंथेट के थोड़ी सी मात्रा मिलाकर उस में तेज हवा का झोंका प्रवाहित करने से झाग उत्पन्न होने लगता है उस झाग के साथ सल्फाइड अयस्क के शुद्ध कण अधिशोषित होकर ऊपर आ जाते हैं जबकि अशुद्धियां बर्तन के पेंदे में जाकर बैठ जाता है।

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Froth-floatation process
इस विधि के द्वारा ZnS, PbS, CuFeS2 आदि अयस्क का सांद्रण किया जाता है।

चुंबकीय पृथक्करण विधि (magnetic separation process)

इस विधि के द्वारा उस अयस्क का सांद्रण किया जाता है जिसमें अशुद्धियां के रूप में चुंबकीय पदार्थ उपस्थित रहता है।
    अयस्क के महीन चूर्ण को चुंबकीय ध्रुव पर चलने वाली पट्टी पर डालने से चुंबकीय पदार्थ चुंबक से आकर्षित होकर ध्रुव के निकट गिरता है और अचुंबकिय पदार्थ कुछ दूर जाकर गिरता है।
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               Magnetic separation process

निक्षालन - अयस्क के महीन चूर्ण को एक उपयुक्त विलायक में घुला देने से अयस्क के शुद्ध कन उसमें घुल जाता है लेकिन अशुद्धियां नहीं घुल पाती हैं जिसे जानकर अलग कर लिया जाता है इस प्रक्रिया को निक्षालन कहते हैं। जैसे- बॉक्साइट अयस्क के महीन चूर्ण को NaOH के सांद्र बिलियन में विलयन में घुलाने पर अयस्क के शुद्ध कन उस में घोलकर सोडियम एलुमिनेट बनाता है।
Al2O3+6NaOH ⇾2Na3AlO3+3H2O

 सोडियम एलुमिनेट में जल मिलाने पर Al(OH)2 का अवक्षेप प्राप्त होता है।
Na3AlO3+3H2O -  Al(OH)3+3NaOH

इस अवक्षेप को छान कर सुखा लिया जाता है उसके बाद इसे गर्म करने से शुद्ध एलुमिना प्राप्त होता ।
2Al(OH)3 -  Al2O3+3H2O

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